THE FACE OF THE REAL WORLD

THE FACE OF THE REAL WORLD
CREATED BY:-NANDANI PATIL

Monday 4 July 2011

The glance of a female, into a mirror..



- At 2 she looks into the mirror and sees a princess .

-At 7, she sees herself as the beautiful Cinderella or Sleeping Beauty
--At 14, she sees herself as a young lady, but fat, with pimples and thinks she can’t possibly be seen this way. “How awful!” She says..
At 20 years of age, she sees herself as too fat, too skinny, too short, too tall, hair too curly, or too straight. But..she goes out anyways.

- At 30 years of age, she still sees herself as too fat, too skinny, too short, too tall, hair too curly, or too straight.
But..decides she doesn’t have time to fix all this, and goes out anyways.
At 40, she still sees herself as too fat, too skinny, too short, too tall, hair too curly, or too straight.
But she thinks “Hey, I’m alive! OH WELL!”
and goes out anyhow.
-At 50, she sees herself in the mirror and thinks “finally… I am me”. She goes out and thinks “I’m even better”.

-At 60, she looks at herself and thinks of all the women that cannot seem to look at themselvs in the mirror..
She goes out and conquers the world!

-At 70 years of age, she sees herself and her worth, her wisdom, happiness and recognizes her ability. She goes out and enjoys life to the fullest
-At 80…she does not preoccupy herself with looking in the mirror. She simply puts on her bright red hat and goes and enjoys all the fun that life has to offer.
Let us share the messsage to all women: Let us all put on our bright red hats on sooner!
Let us be more mindful of opening our hearts rather than our appearance.
Let us enjoy each and every moment and share those with the ones we love.

To all of my female friends I celebrate YOU  and send a big hug!
Now forward this to all of your female friends and share your love…

Sunday 3 July 2011

Lessons from the Seasons of Life


lLife is a gift from God
lTo everything there is a season
lThis is a call to live purposefully
lWe are called to enjoy the journey
lPart of this enjoyment is found in the “one another principles”

Saturday 2 July 2011

DIARY OF A BABY






15Jun:- I get attached with ovary.


17Jun:- I m a tissue now.
30Jun:- Mom said 2 dad, 'u r going 2 be a father'
MOM-DAD R VRY HAPY


15Jul:- My food is wht my mum eats.
15Sep:- I cn feel my hrtbeat.
14Oct:- I hv little hands, legs, head n a stomach.
13Nov:- Today i ws in an ultrascan.
Wow! I m a girl.


14Nov:- I was DEAD!
My mom n dad killed me..

WHY? :(


Is it just becoz i was a girl?
People love 2 hv a MOTHER, A WIFE, N OF COURSE A GIRLFRIEND TOO THN WHY NOT A DAUGHTER ?

तो पहला काम .-- ख़ुद को जगाना



कितना मुश्किल है खुद को बताना
कि हम एक हैं ...
और मानव धर्म एक है .....
और
सारे भारतीय ।मेरे भाई बहन हैं ...
ये प्रतिज्ञा सिर्फ
पाठशाला का एक नियम बनाना .....
नर्सरी में दाखिला लिया ..
पापा फॉर्म भर रहे थे ...
पहला सवाल था .
जाति , धर्म कौन सा ?
हिन्दू ....लिंगायत .......
पापा ...ये धर्म क्या होता है ..?
मेरा सवाल था ....
बेटा ..तुम नहीं समझोगी ..
बहुत छोटी हो .....
"आया " ने मेरी ऊँगली थामा ....
आया से मैंने पूछा .....आपका धर्म क्या है . ....?
मुस्लिम ............
ये था पहला पाठ मेरे बचपन का .....
कितना आसान हो गया है ....
खुद को बताना ...

मेरे दादा ..मेरे दादा के दादा ..उनके दादा के दादा
सभी ने यही सीखा था ..
हम सब एक है ...
मानव धर्म एक है ...
कोई तो मेरे सवालो का जवाब दो ..........?
'रामायण कहा से आया ..?
कुरान कहा से आया ..?
महाभारत कहा से आया ....?
और ये बायबिल ॥कहा से आयी ...?
कितना आसान हो गया है ..खुद को बताना
आज 'भगवान "अल्लाह "जीसस " भी लाचार है . ....
उनके नाम पर ही ॥एक दूसरे को मरोड़ रहे हैं ....
कैंडल भी बहुत जलाए ......
टी वी पर नाम भी फैलाये ....
कि ..हम लड़ेगे ....हम लड़ेगे .....
दूसरी सुबह ने देखा ...
वो खुद ही लड़ रहे है .....
मै "मारता "...तू मुस्लिम ....वो बिहारी .....
आसान हो गया है खुदको बताना

सिर्फ "दिल " से सोचो ....
"भारत मेरा देश है ...
और "भारत मेरा घर है "...
..... हम सब भाई बहन है ...
तो कैंडल भी न हो ...
लिस्ट भी न हो
ख़ुद को जगाओ .......
ख़ुद को जगाओ ......
तो आसान नहीं होगा ख़ुद को जगाना ......
तो ...पहला काम ..
ख़ुद को जगाना ......
ख़ुद को जगाना ......






नंदिनी पाटिल

क्षमा करें गाँधी हमें ....


क्षमा करें गाँधी हमें ....

गाँधी की आखे मुझे घूर  रही थी ...
जब मै नए सदी का हवाला दे रही थी.....

किताब बंद किया अपने नए विचारो और आखो के साथ ...
विचार मेरे गुलाम है ,नए सदी के हाथ .....

नए सदी का पाठ है - आतंकवाद का ...
चरखा  यहाँ चलता है,घोटाले घोटालो का.....

धूर्तता की जीत है ,नैतिकता की हार ,
लाचारी की चमडी है ,करो जयजयकार....


सत्ता की है आरती यहाँ,  पूजा है कुर्सी की....
प्रसाद है पैसोका , आशीर्वाद मोर्चे , हड़तालों  की....


पंडित मुल्ला दो हथियार यहाँ, पाठ  यहाँ पर दंगल का......
चरखा यहाँ चलता है , घोटाले घोटालो का.......


कदम चूमती जीत यहाँ ,नई सदी के ..कौरवों  की ....
इज्ज़त  यहाँ लुटती  है, मूल्य  और मर्यादा की .....


नई  सदी में चिंतन है, शपथ कैसे ले झूठ  की ...
नई  सदी में मनन  है, प्रतिज्ञा  कैसे ले फूट  की ..


शिकवा  करे किससे ? जब बाड़ खाए खेत  को ...
आज़ाद  भारत में  रोज  देखते ज़िंदा लाश, ज़िंदा  मौत  को ...


क्षमा करें  गाँधी हमें  ....
नई  सदी में  इंतज़ार  है आपका ...
चरखा  यहाँ चल रहा है  घोटाले- घोटालो का..


-- नंदिनी  पाटिल 

मै भारतीय हूँ ..मै हिन्दुस्तानी हूँ.





घनी बारिश थी,टूटी छतरी थी ,
फटी चप्पलें जोड़ते हुए वह मैदान में चिपका था..
हाथ में झंडे थे ,बदन पर फटे कपडे ....
सामने गाँधी का पुतला खड़ा था..

पुतले के आगे एक बड़ा नेता, उसके सामने उसकी ही भीड़ .....

सबके चेहरे पर चिंता थी ,



बहुत सारा आवेश भी था ,
राज्य की स्थिति से बेहद उत्तेजित थे,

तालियों के साथ एक आकलन निकला ,
पर भाषियों को प्रदेश से जल्द ही भगाना होगा .....
नहीं तो स्तिथि गंभीर बनेगी ,
महिला की ओर देखते उसने जोर से घोषणा दी.....
हमारा स्वतंत्र राज्य होना ही चाहिए ....
कोई पर-प्रांतीय नहीं टिकेगा ... नहीं टिकेगा.....

मगर प्रश्न यह था......
किसी की बेटी उस राज्य की बहू थी



उस प्रदेश की बहू इसकी बेटी थी ,

वह कुली था ,वह मजदूर था ,



वह रिक्शावाला था, वह सफाई-वाला था ,
वह कारकुन था , वह अधिकारी था ,
वह संतरी था , वह मंत्री था ,
वह गुंडा था ,और वह उस भीड़ का हिस्सा था ,

अंत में उसने निर्णय लिया ....
पुतले जलाओ , उनके झंडे जलाओ ,
बसों में आग लगाओ ,दुकानों में ताले मारो 
भाषावाद , प्रांतवाद में हमें लड़ना है .....हमें लड़ना है..........
टूटी चप्पले हाथ में लेकर वह भी चिल्लाया ,



हमें लड़ना है ....हमें लड़ना है........





शराब की एक बोतल ...कुछ रुपये ..
उस की शाम आज कुछ गजब थी ...
लाठी डंडे बहुत बरसे ,अब वह पूरा नंगा था,



दूसरे राज्य से बेटी ने फोन किया 


क्या हुआ बापू ? मै यहाँ बहुत खुश हूँ ...
वह अधमरा सा खडा था..
सभा के समापन पर,
उनकी ललकार थी.........
शहर ,राज्य में एक और दंगा पैदा करो ..
ताकि धर्म ,प्रान्त, भाषा के संकट पर ,
गरमा गरम माहौल बन जाये ..

उसने फोन पटका ,,,,,,जोरसे चिल्लाया .......

मै भारतीय हूँ ..
मै हिन्दुस्तानी हूँ...

नंदिनी पाटिल ..

NAMUMKIN JEET...................!!


भ्रष्टाचार   हो  या ,
  ईमानदारी   हो  ,
हम जो बीज  बोते है ,
  वही उगता है ....
बस समज ने में    साल निकल जाता है .....

अन्ना ने सोचा चलो लड़ते है ,
घपलो की खेती में सुनामी लाते है    

सुखराम जी का बी एक फरमान निकला ,
चलो ..अन्ना के साथ जंतर मंतर ...
न कोई  हथियार ,न फत्हर......

उपोषण पे तो बैटना है ..
घपलो के बाज़ार में ....

  ईमानदारी की स्थापना करना है ....

सत्य की पुकार थी ...
लड़ने का जूनून था ..
काला   पैसा लाना है लाना है........
सुखराम जी का फोन चिल्ला उठा....
हेल्लो कौन बोल रहा है.........???
सर मै...
गाववालो को फसाया है ...
कोरे कागज़ पर अंगुता बी लगवाया है ....

तिलिस्मी   मुस्कान के साथ ....
        सुखराम जी बोले..........
अभी हम भ्रष्टाचार के खिलाप ...
मोर्चे में है........

सामने घूरते  दादा जी बोले........
"सत्यमेव जयते "
सिर्फ अशोक में माथे पर लिखा है..........

भ्रष्टाचार का चेहरा नहीं होता.....
वश या वर्ग बी नहीं होता.....
जाता बी नहीं उस्सका "अस्तित्व "........

वह सर्वकालीन है ,सर्व स्तलिय है ,सार्वजनीन है .....

अगर हम खुद को जान ले......
       बदल ले..........
  दुसरे को हम खुद में ''''
देख पाए तो ...........
भ्रष्टाचार की जीत  "नामुमकिन  "  है.........